हज़रत मरियम को इस्लाम में उनकी पाकबाजी और दीनदारी के लिए जाना जाता है और हदीस में स्वर्ग की महिलाओं में से एक के रूप में उल्लेख किया गया है [1]। हज़रत मरियम, जिनका नाम क़ुरआन कि 19वीं सूरा को दिया गया है, क़ुरआन में वर्णित एकमात्र महिला हैं । सूरह अल-ए इमरान जो कि तीसरी सूरा है, हज़रत मरियम और उनके परिवार का फिर से उल्लेख किया गया है ।
इसका पता नहीं है कि हज़रत मरियम का जन्म कब हुआ था । उनकी मां ने उन्हें मरियम नाम दिया, जिसका अर्थ “इबादत गुज़ार (इबादत करने वाली)” है ।[2] क़ुरआन के अनुसार, उनके पिता का नाम इमरान था, और तारीखी स्रोतों के अनुसार उनकी मां का नाम हन्नाह था । उनकी माँ ने मरियम और उनके वंशजों को शैतान से बचाने के लिए अल्लाह से प्रार्थना की, और मरियम को उसके जन्म से पहले ही भगवान को समर्पित कर दिया था । [3]
हज़रत मरियम की खाला के पति हज़रत ज़कर्याह, इज़राइल के बच्चों को भेजे गए नबियों में से एक हैं । क़ुरआन के अनुसार, हज़रत मरियम की रक्षा करने वाले लोगों के बीच कुरंदाजी कि गई थी, और उनकी रक्षा का ज़िम्मा हज़रत ज़कर्याह को दिया गया । [4] इस्लामी स्रोतों के अनुसार, मां की तरफ से नाम रखा जाना और उनकी सुरक्षा का ज़िम्मा उनके पिता के मारने के बाद कुरंदाजी के रूप में किया गया । [5]
हज़रत ज़कर्याह जब भी हज़रत मरियम से मिलने जाते थे तो वहाँ ताज़ा भोजन देखते थे और पूछते थे कि यह कहाँ से आया है। हज़रत मरियम उन्हें अल्लाह की ओर से आया है कहती थीं । [6] क़ुरआन के अनुसार हज़रत मरियम के गर्भवती होने से पहले ही; दुनिया और आखि़रत (दोनों) में बाइज़्ज़त (आबरू) और ख़ुदा के करीबी बन्दों में से होगा और (बचपन में) जब झूले में पड़ा होगा लोगों से बातें करेगा । [7] जिब्राईल फ़रिश्ते, जो कि मानव रूप धारण करके हज़रत मरियम को एक बच्चे से गर्भवती होने की खबर लेकर आए । मगर हज़रत मरियम पवित्र महिला होने के कारण पूछती है कि मुझे तो किसी आदमी ने छुआ तक नहीं तो फिर ये कैसे मुमकिन है, और अल्लाह ने कहा की उसके लिए कुछ भी कठिन नहीं है । [8]
हज़रत मरियम का गर्भवती होना तहरिम सुरे के 12 वीं श्लोक में: “तथा मरियम, इमरान की पुत्री का, जिसने रक्षा की अपने सतीत्व की, तो फूँक दी हमने उसमें अपनी ओर से रूह़ (आत्मा) तथा उस (मरियम) ने सच माना अपने पालनहार की बातों और उसकी पुस्तकों को और वह इबादत करने वालों में से थी।” के रूप में वर्णन किया गया है । हज़रत आदम में रूह फूंक कर बिना मां बाप के बनाने वाला अल्लाह; इसी उधरण से खुदके लिए कितना सरल है बता रहा है । [9]
लोगों के आरोप लगाने के डर से हज़रत मरियम पैदाइश के वक़्त तक इंसानों से दूर एक जगह गर्भ का दर्द आने पर एक खजूर के पेड़ से टेक लगा कर दुख के साथ “काश में पहले ही मर जाती” बोली । तभी अल्लाह ने उनको ऊँचे स्वर में कहा कि वह खजूर के पेड़ को हिलाकर गिरी हुई ताज़ी खजूर खा ले, और अल्लाह ने हज़रत मरयम के नीचे से एक पानी का स्रोत भेजा, उसे एक तरह से सांत्वना दी, और उन्हें कुछ समय के लिए लोगों से बात न करने का भी आदेश दिया । [10]
जब हज़रत मरियम ने अपने बच्चे को जन्म दिया, तो लोगों ने इसके बारे में सुना और उसकी निंदा करने वाले शब्द कहे, लेकिन उसने अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए बिना किसी से बात किए बच्चे की ओर इशारा किया । हज़रत ईसा, जो उस समय झूले में एक बच्चे थे, उन्होंने अल्लाह की इजाज़त से बात की और लोगों को बताया कि वह एक नबी हैं । [11]
हज़रत मरियम एक ऐसी महिला है जिनकी इस्लामी स्रोतों में हमेशा सराहना और प्रशंसा की गई है । हज़रत मरियम को कुरान [12] में मोमिनों के लिए एक उदाहरण के रूप में दिखाया गया है, पैगंबर मुहम्मद ने कहा, “अपने समय में महिलाओं में से सब से अच्छी महिला इमरान की बेटी मरियम हैं, और इस उम्मत की महिलाओं में से सब से अच्छी महिला हज़रत ख़दिजह हैं । (हजरत मुहम्मद की पहली पत्नी)।” [13] उन्होंने इन बातों से हज़रत मरियम के महत्व को याद दिलाया ।
इस्लामी मान्यता के अनुसार, हज़रत मरियम और उनके पुत्र हज़रत ईसा, दोनों ही अल्लाह के अनमोल सेवक हैं । [14] पिता के बिना हज़रत ईसा का जन्म, हज़रत मरियम द्वारा एक बच्चे का चमत्कारी जन्म, और बच्चे का छोटेपन में बोलना सभी घटनाएं केवल अल्लाह की इच्छा से हुई हैं । पैगंबर ईसा को भगवान का बेटा बनाना या हज़रत मरियम को भगवान की मां का श्रेय देना, इस्लाम में इन असाधारण घटनाओं को अलग-अलग अर्थ देना अस्वीकार्य है । [15]
[1] अहमद ब. हांबल, अल मुसनद, III, 64, 80, 135
[2] अल ए इमरान/36
[3] अल ए इमरान/35-37
[4] अल ए इमरान/44
[5] बुखारी, “अंबिया”, 44
[6] अल ए इमरान/37
[7] अल ए इमरान/45-46
[8] मरियम /16-21
[9] हिजर /29
[10] मरियम /22-26
[11] मरियम /27-33
[12] तहरीम/11-12
[13] बुखारी, “अंबिया”, 32, 45-46, “मनाकीबुल अनसार”, 20
[14] माइदा/75
[15] निसा/171